Chhattisgarh News: रायपुर । रायपुर में बिना मान्यता के दो प्राइवेट स्कूल सालभर से खुलेआम संचालित हो रहे हैं। इस वजह से यहां पढ़ रहे स्कूली बच्चों का फ्यूचर अंधकारमय हो गया है। नियम कायदे-कानून ताक पर रखकर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है।
बड़ी बात ये है कि इन दो स्कूलों से पढ़कर दूसरे जगह प्रवेश लिए छात्रों को टीसी भी नहीं दिया जा रहा है। पालकों को टीसी के लिए स्कूल के लिए चक्कर पे चक्कर लगवाये जा रहे हैं।
पालकों को कभी एक महीने तो कभी 15 दिन तो कभी एक सप्ताह का समय देकर बार-बार दौड़ाया जा रहा है। स्कूल प्रबंधन की कार्यप्रणाली से जाहिर है कि जब स्कूल मान्यता प्राप्त है ही नहीं तो वो छात्रों को मॉर्कशीट कहां से देंगे। मामले में जिला शिक्षा विभाग उदासीन हैं या यूं कहे कि मौन हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारी कुंभकर्णी नींद में हैं। यह पूरी तरह से माना जा सकता है कि उन्हें चढ़ावा मिल रहा है। इसलिए विभाग भी मलाई खाने में व्यस्त है। कार्रवाई के नाम पर हिलाहवाला किया जा रहा है।
सालभर हो गये फिर भी मान्यता नहीं, कैसे चल रहा स्कूल?,
चर्चा तो ये भी है कि स्कूल और शिक्षा विभाग की मिलीभगत से ही बिना मान्यता के सालभर अधिक समय होने के बावजूद बेधड़क संचालित हो रहे हैं। नए शिक्षा सत्र में भी कक्षा 9वीं में प्रवेश लिया जा रहा है। बहुत सारे पालकों को इस संबंध में जानकारी ही नहीं है कि ये स्कूल बिना मान्यता के चल रहे हैं। जब उन्हें इस बात की जानकारी होती है तो उन्हें स्कूल और जिला शिक्षा कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ते हैं। कार्रवाई के लिए शिक्षा विभाग के दरवाजे खटखटाने पड़ते हैं। कई पालकों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि स्कूल में टीसी के लिए आवेदन लगा रखे हैं पर उन्हें टीसी नहीं दिया जा रहा है। इस वजह से वो अपने बच्चों के भविष्य को लेकर परेशान हैं। कहा कि, स्कूल से खिलाफ बोलने पर हमारे बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा सकता है। पालक भी इस साउथ इंडियन अंग्रेजी स्कूल के चक्कर में बेवकूफ बने बैठे हैं।
खुद का नहीं है भवन किराये के कमरे में चल रहा स्कूल
दरअसल, रायपुर के सरोना और अमलीडीह में करीब डेढ़ साल से चैतन्य टेक्नो स्कूल चल रहे हैं। यहां स्कूल पहली से आठवीं तक संचालित हैं। जिनमें करीब 15 सौ से अधिक छात्र अध्ययनरत हैं। इतना ही नहीं किराए के भवन में चल रहे इन स्कूलों में पालकों से मनमानी फीस वसूली जा रही है। रायपुर सहित पाच जिलों में ये स्कूल संचालित हो रहे हैं। एक-एक करके ब्रांच बढ़ाया जा रहा है। पालकों का कहना है कि नए शिक्षा सत्र से 9वीं और 10वीं कक्षा में प्रवेश के लिए नोटिफिकेशन भी जारी हो चुका है।
पालकों से फीस के नाम पर मोटी रकम वसूल रहे
चैतन्य टेक्नो स्कूल सरोना में ट्यूशन, किताब,ऑनलाइन क्लासेस और यूनिफार्म के नाम पर पालकों से मोटी रकम ऐंठी जा रही है। नर्सरी से पीजी-2 तक 61 हजार, पहली और दूसरी तक 66 हजार, तीसरी से पांचवी तक 71 हजार, छठवीं, सातवीं और आठवीं में क्रमश: 76 हजार, 81 हजार और 86 हजार रुपये प्रति विद्यार्थी वार्षिक फीस ली जा रही है। कक्षा चौथी में प्रवेश लेने वाले छात्र से ट्यूशन फीस के नाम पर 55 हजार रुपये लिए जाते हैं। एक सेमेस्टर के लिए पुस्तक मटेरियल 6 हजार 555 रुपये में दिया जाता है।
बिना अनुमोदन के ही तय कर दी फीस
बता दें कि किसी भी स्कूल में फीस का अनुमोदन वहां की व्यवस्था सुविधा के अनुसार होता है। ऐसे में बिना मान्यता वाले स्कूल का शुल्क कैसे अनुमोदित हो सकता है। समिति की ओर से फीस तय की जाती है। कलेक्टर स्तर की समिति जांच करके फीस अनुमोदित करती है, जो नहीं किया गया है।
सूलगते सवाल
सवाल ये है कि जब शिक्षा विभाग ने पिछले साल जाकर स्कूल में जांच-पड़ताल की तो उसने स्कूल पर एक-एक लाख का जुर्माना ही लगाकर अपनी जिम्मेदारी से मुंह क्यों फेर ली? स्कूल पर बिना मान्यता वाले बोर्ड लगाने के नियम का पालन क्यों नहीं करवाया गया? स्कूल जब बिना मान्यता के चल रहा है तो उस पर ताला लगाने की कार्रवाई क्यों नहीं की गई। उन्हें पालकों से पैसा वसूलने और बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने के लिए क्यों छोड़ दिया गया है। बहरहाल, तो सवाल दुनियाभर के हैं पर विभाग के दिये तले ही अंधेरा है तो क्या कहने।
नवंबर 2023 में हुई थी नाममात्र की कार्रवाई
इसके पहले 23 नवंबर 2023 में इस मामले की शिकायत मिलने पर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय की टीम ने इन दोनों स्कूलों पर एक-एक लाख रुपये जुर्माना लगाकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर लिया था पर इन स्कूलों के मान्यता पर अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है। उस समय कार्रवाई के दौरान तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी रायपुर हिमांशु भारतीय, सहायक संचालक जिला शिक्षा अधिकारी केएस पटले, बीईओ धरसींवा एम मिंज, सहायक बीईओ धरसींवा प्रदीप शर्मा के साथ वंदना शुक्ला, रविकांस डोये ने स्कूल पहुंचकर जांच की थी।
…तो नपेंगे कई अधिकारी!
इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी डॉ.विजय कुमार खंडेलवाल से चर्चा के लिए हमने संपर्क किया और जानकारी लेने की कोशिश की, तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। मैसेज करने के बाद उसका भी जबाव नहीं दिया गया। जाहिर है कुछ तो विभाग को बहाना बनाना पड़ेगा। बरहाल कि मामले की परत उठेगी तो कई स्कूल से लेकर शिक्षा विभाग तक कई नपेंगे।
Apr 19, 2024