Chaitra Navratri 2025: आज यानी सोमवार 31 मार्च चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन है। आज मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा अर्चना की जाती है। माता ब्रह्मचारिणी का स्वरूप पवित्र माना जाता है। यह माता साधना और तपस्या की प्रेरणा देती है। उनकी पहचान ये है कि मां ब्रह्मचारिणी के एक हाथ में माला और दूसरे हाथ में जलपात्र रहता है। ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि के दूसरे दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने से भक्तों को मनचाही मूरादें पूरी होती है।
मां ब्रह्मचारिणी की कथा
शिवपुराण के मुताबिक, मां पार्वती ने नारदजी की सलाह पर भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए एक हजार वर्षों तक फलों का सेवन किया था। इसके बाद उन्होंने तीन हजार वर्षों तक पेड़ों की पत्तियां खाकर तपस्या की। उनका तप से सभी देवता, ऋषि-मुनि खुश हुए। उन्होंने देवी को भगवान शिव को पति स्वरूप में प्राप्त करने का वरदान दिया। इसी वजह से उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
सबसे पहले सुबह स्नान कर साफ वस्त्र पहन लें।
गुलाबी रंग के शुद्ध वस्त्र पहनना शुभ है।
घर के मंदिर को अच्छी तरह साफ कर लें।
मंदिर में मां की प्रतिमा या चित्र को रखें।
मां की प्रतिमा को कुमकुम, अक्षत और भोग लगाएं
मां ब्रह्मचारिणी के मंत्र का जाप करें
इसके बाद, मां के चरणों में पुष्प अर्पित कर आरती गाएं
मां ब्रह्मचारिणी का भोग
मां ब्रह्मचारिणी को मीठे पकवानों का भोग लगाया जाता है। माता रानी को दूध, मिश्री से बनी मिठाइयों या पंचामृत का भोग लगाना शुभ माना जाता है।
मां ब्रह्मचारिणी का मंत्र
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:
ब्रह्मचारयितुम शीलम यस्या सा ब्रह्मचारिणी।
सच्चीदानन्द सुशीला च विश्वरूपा नमोस्तुते
या देवी सर्वभेतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
दधाना कर मद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
मां ब्रह्मचारिणी शुभ रंग
चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन का शुभ रंग गुलाबी है