mukhtar ansariमु्ख्तार अंसारी

नेशनल लुक न्यूज। Mukhtar Ansari death: यूपी के बांदा जेल में बंद पूर्वांचल के माफिया मुख्तार अंसारी का निधन हो गया है। कार्डियक अरेस्ट से उसकी मौत होने की खबर सामने आ रही है। बांद जेल में बंद तीन दिनों से बीमार चल रहे माफिया मुख्तार अंसारी की तबीयत गुरुवार की रात फिर से बिगड़ गई।

इस पर उसे दुर्गावती मेडिकल कॉलेज लाया गया था, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। उसकी मौत को लेकर गाजीपुर, मऊ में हाई अलर्ट किया गया है। सुरक्षा के मद्देनजर पूरे उत्तर प्रदेश को हाई अलर्ट पर रखा गया है। चप्पे-चप्पे पर पुलिस फोर्स की तैनाती की गई है।

मुख्तार अंसारी की तबीतय खराब होने की सूचना पर जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल, डीएम अंकुर अग्रवाल कई थानों की पुलिस फोर्स के साथ मंडलीय कारागार पहुंचे। करीब आधे घंटे तक अधिकारी जेल के अंदर ही रहे। इसके बाद मुख्तार को दोबारा एंबुलेंस से रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज लाया गया।

कुख्यात अपराधियों की टोली से से माफिया बना मुख्तार जरायम की दुनिया में ऐसा मजबूत कदम रखा कि पूर्वांचल ही नहीं गैर प्रांतों में भी उसके गुर्गे संगठित अपराध को अंजाम देने में खौफ नहीं खाते थे। उसके दबंगई के आगे सियासत भी खौफ खाती थी।


ऐसे रखा अपराध की दुनिया में कदम

  • पुलिस रिकार्ड्स के मुताबिक विरोधियों को दिनदहाड़े गैंगवार में मौत के घाट उतरवाने वाला मुख्तार अंसारी अपनी एक छवि गढ़ने के लिए राजनीति में कदम रखा था। मुख्तार अंसारी की जेल में भी चलती थी। वह वहीं से अपने गैंग को चलाता था। पुलिस ने मुख्तार अंसारी के गैंग को 1997 में आईएस-191 के रूप में पंजीकृत किया था। लेकिन 2004 का लोकसभा चुनाव नजदीक आया तो मुख्तार गिरोह ने खूनी खेल शुरू कर दिया।
  • नवंबर 2005 में पूर्व विधायक कृष्णानंद राय और छह अन्य लोगों को 400 राउंड से ज्यादा फायरिंग कर मौत के घाट उतार दिया गया था। मुख्तार अंसारी के गैंग के लोग जो ठेके-टेंडर और संपत्ति चाहते थे उसे ले लेते थे, जिसका असर जनपद के विकास पर भी पड़ा। अक्टूबर 2005 में मऊ में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के दौरान दंगे भड़के और मुख्तार को जेल जाना पड़ा। इसके बाद 29 नवंबर 2005 को भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या हुई और फिर बदलती सरकारों के साथ जेलें भी बदलती रहीं, लेकिन मुख्तार अंसारी बाहर नहीं आ सका।
  • फरवरी 2004 में कृष्णानंद राय के खास रहे अक्षय राय उर्फ टुनटुन की हत्या की गई। 26 अप्रैल 2004 को कृष्णानंद के करीबी झिनकू और फिर भाजपा कार्यकर्ता शोभनाथ राय की हत्या की गई। 27 अप्रैल 2004 को दिलदारनगर में रामऔतार की हत्या हुई।
  • लोकसभा चुनाव के बाद बाराचवर विकास खंड मुख्यालय पर कृष्णानंद के करीबी अविनाश सिंह पर फायरिंग की गई। अक्तूबर 2005 में एक मामले में जमानत रद्द कराकर मुख्तार जेल चला गया। मुख्तार अंसारी पहली बार मऊ सदर विधानसभा से 1996 में बसपा के टिकट पर जीतकर विधानसभा पहुंचा था। इसके बाद 2002 और 2007 में निर्दल विधायक बना। फिर, कौमी एकता दल के नाम से अपनी नई पार्टी बनाई और 2012 का विधानसभा चुनाव जीता। वर्ष 2017 में मुख्तार अंसारी बसपा से चुनाव जीता। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में वह वाराणसी से बीजेपी के डॉ. मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ उम्मीदवार रहा। हालांकि, वह 17 हजार से अधिक वोटों से हार गया था।

परिजनों ने जताई थी ये आशंका
मुख्तार की हालत बिगड़ने पर दो दिन पहले जब उसे जेल से मेडिकल कॉलेज लाया गया था, तभी उसे भाई अफजाल और बेटे उमर अब्बास ने पिता की मौत की आशंका जताई थी। जेल प्रसासन पर गंभीर आरोप भी लगाए था। अफजाल ने आरोप लगाते हुए कहा था कि उसके भाई की हत्या का सातवीं बार प्रयास किया गया है। 19 मार्च को उन्हें खाने में जहर दिया गया था। दूसरी ओर बेटे उमर ने कहा था कि उसे पिता से मिलना तो दूर शीशे से देखने तक नहीं दिया गया था। प्रशासन ने कोई सहयोग नहीं किया।

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